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कीड़ामारी जडीबुटी के लाभ

कीड़ामारी जडीबुटी के लाभ ।Aristolochia bracteolat Herb Benefits and Identification

कीड़ामारी जडीबुटी के लाभ
कीड़ा मारी का पौधा


दोस्तों आज की पोस्ट में हम आपको एक दुर्लभ जड़ीबूटी कीड़ामारी की पहचान करायेंगे और इसके फायदे के बारे में पूरी जानकारी देंगे 


किडामारी जडीबुटी की पहचान कैसे करे


यह जड़ीबूटी जमीन पर फैलती है और एक बेल के समान ऊपर बढ़ती है यह इसके फूल है और इसके बाद इसे फल लगने शुरू हो जाते हैं 


दोस्तों इसकी विशेषता यह कि इसके आसपास कभी जंगली जहरीले कीड़े नहीं आते अगर आते हैं तो इसकी तीक्ष्ण गंध से मर जाते हैं इसीलिए इसे कीड़ामारी कहा जाता है 


अगर घर के आसपास यह पौधा होता है तो कभी भी जंगली बिच्छू या किसी भी प्रकार का जहरीला कीड़ा नहीं आता


कीड़ा मारी को किन किन नामो से जाना जाता है


इस वनस्पति को अलग-अलग भाषाओं में अलग-अलग नामों से जाना जाता है संस्कृत में इसे "धूम्रपत्रा" कहा गया है गुजराती में "कीड़ामारी" हिंदी में कीड़ामारी और मराठी में "गीधन गंध"और"गंदाटी" से पहचानते हैं इसका अंग्रेजी नाम "Worm Killer"और वैज्ञानिक नाम "Aristolochia bracteolat" है 


कीड़ामारी जडीबुटी का औषधीय उपयोग कैसे करे


दोस्तों यह वनस्पति कई प्रकार के औषधीय कार्यों में उपयोग में ली जाती है दोस्तों ध्यान रहे यह गर्म प्रकृति की होती है इसलिए भूल से भी गर्भवती महिलाओं और बवासीर के रोगियों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए 


यह वनस्पति एक लता रूप होती है कीड़ामारी के एक शूप वर्षा काल में सारे भारतवर्ष में उत्पन्न 

हो होता है यह खेत खलिहान और बंजर जमीन 

में उत्पन्न होता है यह कपास के खेतों में 

भी ज्यादा पाई जाती है 


यह वनस्पति बहु वर्षा होती है और साल भर पाई जाती है इसके पत्रों का रंग हरा नहीं होता लेकिन धूम्र के समान होता है इसलिए संस्कृत में इसे 

धूम्रपत्रा कहा जाता है 


 यह पौधा कटू उष्ण कृमि नाशक और रुचि को 

बढ़ाता है यह वात कप और खांसी को मिटाता 

है और ज्वर को दूर करता है यह शरीर में 

जमा हुए जहरीले तत्व को बाहर निकाल देती 

है 


इसमें एंटी बैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण 

पाए जाते हैं इसका स्वाद कड़वा होता है और 

यह जंतुग्न होता है यह पेट में होने वाले 

कीड़े को नष्ट करता है 


यह गर्भाशय को उत्तेजित करता है और शुद्ध करता है यह महिलाओ के अनियमित मासिक स्त्राव को नियमित करती है यह त्वचा के रोगों की सबसे कारगर और अद्भुत औषधि है यदि दाद खुजली और गिली खुजली की समस्या होती है तो ऐसे में इसके ताजे पत्तों को पीसकर एक लेप बनाए और प्रभावित स्थान पर लगाए ऐसा कुछ दिनों तक करते रहने से त्वचा के सभी प्रकार के रोग मिट जाते हैं और फिर से उत्पन्न नहीं होते 


यदि किसी भी महिलाओं को मासिक धर्म के 

दौरान रुकावट आती है या अनियमित होता है 

तो ऐसे में कीड़ा मार के पंचाग को छाव 

में सुखाकर पाउडर बनाएं और इस पाउडर को 10 ग्राम की मात्रा में पानी में उबालकर काढा 

बनाकर कुछ दिनों तक सेवन करने से मासिक 

धर्म में होने वाली रुकावट दूर होती है और 

साथ ही इसमें होने वाले दर्द से भी छुटकारा मिलता है 


इसके अतिरिक्त यह महिलाओं में भी अधिक फायदेमंद होती है जब तीनों दोष कुपित हो जाते हैं इसे सनी पात कहते हैं सनी पात होने पर इस बूटी को जड सहित लाकर सिर पर लगाने से सनी पात में जल्दी से आराम हो जाता है इसके

अतिरिक्त महिलाओं में पेट गिरने की समस्या होने पर अर्थात गर्भाशय नीचे की तरफ जब गिरता है 

तब इस जड़ीबूटी को लाकर कमर से नीचे की 

तरफ बांधने से इस समस्या से जल्दी से 

निजात मिल जाता है 


इसके साथ इसके पत्तों को सुखाकर चूर्ण बनाकर ती से 5 ग्राम की मात्रा में दे सकते हैं यह लत्ता गर्भाशय को उत्तेजित करती है और गर्भाशय का संकोचन भी करती है इसके तांचे पत्तों का रस 5 से 10 ml की मात्रा में ले सकते हैं 


दोस्तों यह पेट के लिए भी बहुत कारगर होती 

है यह पेट में होने वाले कब्ज को मिटाती 

है कब्ज की समस्या होने पर इसके लगभग 10 

ग्राम पाउडर को पानी में उबालकर काढ़ा 

बनाकर पीने से कब्ज की समस्या दूर होती है 

अगर छोटे बच्चों को कब्ज की समस्या होती 

है तो ऐसे में कीड़ा मार के एक पत्ते को 

लेकर ऊपर अरंडी का थोड़ा तेल लगाए अब इस 

पत्ते को बच्चे के पेट के ऊपर बांधने से 

दस्त होकर कब्ज मिट जाता है 


दोस्तों इस जड़ीबूटी में एंटीफंगल और एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं यदि शरीर में किसी भी प्रकार की सूजन आ गई हो तो इसके पत्तों का रस लगाने से सूजन उतर जाती है.

 

तो दोस्तो फिर मिलते है एक और नई जानकारी के साथ धन्यवाद,,

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