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शेरपंजी जडीबुटी के चमत्कारी फायदे

शेरपंजी जडीबुटी के चमत्कारी फायदे।Amazing benefits of Ipomoea pes-tigridis herb

शेर पंजी जडीबुटी के चमत्कारी फायदे
शेरपंजी का पौधा


दोस्तों आज की आर्टिकल में हम जंगली 

जड़ीबूटी शेरपंजी के बारे में बात करेंगे 

इसकी पहचान करेंगे और इसके फायदे के बारे 

में आपको बताएंगे 


शेरपंजी जडीबुटी की पहचान कैसे करे


शेर पंजी की एक लता होती  है जिस पर सफेद रंग के पुष्प लगते हैं ज्यादातर भाषाओं में इसे शेर पंजी और वाघ पंजा से पहचानते हैं यह एक बेल होती है जो वर्षा ऋतु में लगभग सारे भारतवर्ष में 

अपने आप उत्पन्न होती है यह लत्ता बरसात के मौसम में सारे भारतवर्ष में पाई जाती है यह बाडो पर और वृक्ष पर चढ़ती है यह एक वर्ष भर रहने वाली लता है 


इस पर सफेद पीले या बुरे रंग के बाल होते हैं इसके पत्ते चमकदार और पांच पत्ते साथ में तथा आकार वाघ के पंजों के समान होते हैं इसके फूल सफेद रंग के होते हैं और सुबह में खिल जाते हैं इसकी कई प्रजातियां देखने को मिलती है कहीं-कहीं यह पांच पत्तों वाली सात पत्तों वाली और 10 पत्तों वाली भी पाई जाती है फूलों के बाद इसे फल लगते हैं जो अंडाकार होते हैं इसमें काले 

रंग के बीच होते हैं 




दोस्तों इसकी पत्तियों का आकार शेर के पंजे के समान होता है इसीलिए इसे शेर पंजी कहते हैं इस बेल की दो प्रजाति पाई जाती है एक में 

पांच-पांच पत्ते लगते हैं और दूसरे में  सात पत्ते लगते हैं  यह बेल रोइ दार होती है 


शेरपंजी जडीबुटी के कितने नाम है 


इसे अलग-अलग भाषाओं में अलग-अलग नामों से जाना जाता है हिंदी में "पंचपत्री" और "पंचपतिया" से जानते हैं इसे मराठी में "वाघ पदी" और गुजराती में "वाघ पगों" वेल से जानते हैं इसे बंगाली में "अंगुली लोटा" कोकनी में ""आर्टी" उड़िया में "बिलनंदी" तमिल में "पुलिसी कोती" और तेलुगु में "मेक्का मुडूको" से पहचाना जाता है इसका अंग्रेजी नाम टाइगर फुट"tiger foot" और वैज्ञानिक नाम"Ipomoea pes-tigridis" है 


यह लत्ता बरसात के मौसम में सारे भारतवर्ष 

में पाई जाती है यह बाडो पर और वृक्ष पर 

चढ़ती है यह एक वर्ष भर रहने वाली लता है 

इस पर सफेद पीले या बुरे रंग के बाल होते 

हैं इसके पत्ते चमकदार और पांच पत्ते साथ 

में तथा आकार वाघ के पंजों के समान होते 

हैं इसके पुष्प सफेद रंग के होते हैं और 

सुबह में खिल जाते हैं इसकी कई प्रजातियां 

देखने को मिलती है कहीं-कहीं यह पांच 

पत्तों वाली सात पत्तों वाली और 10 पत्तों 

वाली भी पाई जाती है फूलों के बाद इसे फल 

लगते हैं जो अंडाकार होते हैं इसमें काले 

रंग के बीच होते हैं 


 


इसका गुणधर्म रेचक है इसका आंतरिक सेवन 

करने से दस्त होकर पेट साफ हो जाता है इस 

पौधे में एंटीबैक्टीरियल और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं यह एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है सदियों से इसका उपयोग त्वचा रोगों में किया जाता है 


इसके पत्तों का रस लगाने से फोड़े और फुंसियां मिट जाती है इसके पत्तों की 

पेस्ट बनाकर चेहरे पर दो दिनों तक दिन में दो-दो बार लगाने से कील मुहा से नष्ट होते हैं और चेहरा चमकीला बनता है इसके पत्तों को पिसकर घाव पर लगाने से गांव शीघ्र भर जाते हैं इसका अर्थ स्वस्थ कोशिकाएं शीघ्र निर्माण कर घावों को यह भर देता है


दोस्तों यही नहीं इस पौधे में कैंसर विरोधी गुण पाए जाते हैं दक्षिण भारत के कुछ इलाकों में इसका उपयोग सिर दर्द सूजन और जहरीले कीड़ों के काटने पर होने वाले विष के प्रभाव को दूर करने के लिए उपयोग किया जाता है 


मध्य भारत और बांग्लादेश के कुछ इलाकों में इसके पत्तों के पाउडर को स्वास नलिका की सूजन में उपयोग में लिया जाता है दम जैसी भयानक बीमारी के लिए तो यह एक रामबान औषधि ही साबित होती है इसका रस आंतों की पेचिश जैसी भयंकर बीमारी में भी बहुत फायदेमंद हुआ करता है

शेरपंजी जडीबुटी की मान्यताएं

आंध्र प्रदेश के कुछ आदिवासी इलाकों में बच्चों को बुरी आत्माओं से बचाने के लिए इसकी जड़ को पानी में डुबोकर धागे में पिरो कर गले में 

पहनाया जाता है इन लोगों का मानना है कि इसकी झड़ को गले में धारण करने से बुरी आत्माएं दूर रहती है 


श्रीलंका में पागल कुत्ते के काटने पर इस पूरे पौधे को पीसकर इसके पंचांग का रस निकालकर पिलाया जाता है जिसके कारण दस्त और वमन होकर कुत्ते का जर नष्ट होता है दोस्तों आप इसका उपयोग किसी जानकार वेद की सलाह के अनुसार ही करें 


तो दोस्तों फिर मिलते नई जडीबुटी की नई जानकारी के साथ धन्यवाद🙏🙏

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