कंचट जडीबुटी के फायदे।Benefits of Commelina herb
नमस्कार दोस्तों हमारे भारत की पवित्र भूमिमें अनेकों जड़ीबूटियां पाई जाती है और ऋषिमुनियों द्वारा खोजी गई जड़ीबूटियो से आयुर्वेद बना है
हम भारतीयों को गर्व होना चाहिए कि सदियों से हमारी आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति का पूरे विश्व मे डंका बज रहा है
दोस्तों एलोपैथिक दवाइयों का शरीर पर दुष्प्रभाव पड़ता है लेकिन आयुर्वेदिक जड़ीबूटि से बनी दवाओं का कोई दुष्प्रभाव नही पड़ता
आज हम बात करेंगे कंचट जडीबुटी के बारे में हम जानकारी ना होने के कारण हम उसे खरपतवार समझकर उखाड़ फेक देते
कंचट जडीबुटी को कैसे पहचाने
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कंचट का पौधा |
इस पौधे को तो आपने अवश्य पहचान लिया होगा यह कंचट है यह पौधा जमीन पर फैलता है यह करीबन 60 से 90 सेंटीमीटर तक लंबा होता है इसका तना गुद्धिदार होता है यह बहु वर्षायु पौधा है इसमें पानी की मात्रा सबसे ज्यादा होती है और चित्र प्रकृति का भी होता है
इस पर सुंदर नील रंग के छोटे-छोटे पुष्प लगते है जिसका आकर बहुत ही सुंदर दिखता है इसके पत्र ढाई से साढ़े सात सेंटीमीटर तक लंबे होते हैं यह करीबन एक से साढे तीन सेंटीमीटर तक चौड़े होते हैं यह कभी-कभी अंडाकार भी होते हैं
कंचट जडीबुटी को किन किन नामो से जाना जाता है
संस्कृत में "कंचटम" "कर्णमोरुट" "वत्यप्रिय" और "कोशपुष्पी" से जाना जाता है हिंदी में "कचरा" और "कनकाऊवा "कहते हैं और गुजराती "सीसमूली" कहेते है तथा पंजाबी में "चुरा"से हम जानते हैं मराठी में "केना" से जानते हैं इस पौधे का अंग्रेजी नाम है"Dayflowers"और वैज्ञानिक नाम "Commelina" है
कंचट जडीबुटी के गुणधर्म क्या है
आयुर्वेद के अनुसार कंचट के गुणों की हम बात करें तो यह स्वाद में थोड़ा तिख्त पचने में हल्का वात शामक रक्तपित्त शामक मुत्रल और वीर्यचक होता है यह पंचक मृदुकारी दीक्ट वेदना शामक और सुजन को दूर करता है
इस पूरे पौधे में जीवाणुरोधी पाया जाता है इसका गुणधर्म मूत्रल होता है और इसमें पानीभी ज्यादा होता है इसलिए यह किडनी के लिए बहुत लाभकारी पौधा है आपको हमने बताया की पौधा ठंडी प्रकृति का है इसलिए आंखों के लिए यह हितकारी होता है
कंचट जडीबुटी का उपयोग कैसे करे
इस पूरे पौधे को साफ कर इसका कल्क बनाकर आंखों की बाहर पलकों पर चारों तरफ लगाएं
ऐसा करने से आंखों की गर्मी दूर होती ही
और आंखों को शीतलता महसूस होती है और
आंखों के कई विकार दूर होते हैं
अगर गर्मी के करण किसी को नकसीर की समस्या हो गई है तो इस कंचट के पत्तों का रस निकालकर नश्य दे इस प्रयोग से नकसीर में जल्द ही आराम हो जाता है
अगर किसी को गैस आफ़रा या पेट में गड़बड़ हो तो कंचेट का सांग बना कर नित्य रोजाना खाना चाहिए इससे कब्ज दूर होता है और अजीर्ण का नास होता है यह पौधा पचाने में हल्का होता है यह जल्दी से पच जाता है
यह बवासीर और अर्श की मरीज के लिए
बहुत लाभकारी भी होता है इसके अलावा कंचट
को पीसकर अर्श के मस्सों पर लगाने से बहुत
आराम भी होता है यह पौधा पत्थरी की बीमारी
में भी बहुत लाभकारी होता है 2 से 5 ग्राम कंचट
के पत्रों को पानी के साथ पीसकर रोजाना सेवन करने से पेशाब के वक्त होने वाली जलन दूर होती ही और पथरी धीरे-धीरे गिलकर निकल जाती है
दोस्तों कंचन के पूरे पौधे का 50 मिली की मात्रा
में रस बना कर कुछ दिनों तक लगातार सेवन
करने से किडनी में जमा हुइ गंदगी की दूर हो
जाता है और किडनी क्लीन हो जाति है इसका
प्रयोग करने से पेशाब संबंधी कई प्रकार की
बीमारियां दूर होती है
दोस्तों इस पूरे पौधे में जीवाणुरोधी गुण पाए जाते हैं इसके पत्तों को पीसकर लगाने से त्वचा रोगन में बहुत आराम हो जाता है इसकी मूल को छोड़कर पूरे पौधे को लेकर बेसन में मिलकर पकोड़े बनाकर खाने से कुष्ठ रोग में बहुत लाभ होता है
इसके पत्तों की पेस्ट बनाकर घाव पर लगाने से ना भरने वाले घाव भी जल्दी भर जाते हैं इसके अलावा इसके पत्तों को पीस कर ले लगाने से दाद खाज और कन्डू जैसे भयंकर रोग मिटते है
दोस्तों फिर मिलते है नई जडीबुटी की जानकारी के साथ,,धन्यवाद🙏🙏
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