इस लाभकारी साटी Trianthema portulacastrum जड़ीबूटी के फायदे और गुण जाने
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ये विषखपरे का पौधा है |
नमस्कार दोस्तों में हाजिर हु फिर एक महत्वपूर्ण जानकारी के साथ दोस्तों इस पौधे को अपने अवश्य देखा होगा यह एक खरपतवार है
दोस्तों इस वनस्पति का नाम है साटी जिसे हम एकदम कचरा समझ कर फेंक देते है इसकी जानकारी ना होने के कारण हम इसे घास फूस समज कर फेंक देते है साटी का पौधा अपने गुणों से बहुत मूल्यवान है
किसानों के लिए यह शिरदर्द के समान है ये पौधा वर्षा ऋतु की पहेली बारिश में सवर्त्र अपनेआप उग आता है खाली पड़ी भूमि मैदानी इलाकों और खेतों में खरपतवार के रूपमें उत्पन्न होता है
संस्कृत विद्ववानों ने इसे वर्षाफुल नाम दिया है दोस्तों ये घासफूस में होने वाला ये पौधा गुणो में बहुत ही श्रेष्ठ है कुछ लोग इसे पुनरवा भी कहते है पर ये पुनरवा नही है पर पुनरवा की ही एक प्रजाति है यह पुनरवा नही है लेकिन इसके गुण उससे मिलते जुलते है
इसके पान गोलाकार अंडाकार मोटे तथा रसभरे होते है इसपर सफेद रंग के छोटे छोटे फूल लगते है और ये जमीन पर फैलता है
संस्कृत में इसे विषखपरा और वर्षाभु के नाम से जानते है इसका हिंदी नाम साटी है गुजराती में साटोडो कहेते है इसका वैज्ञनिक नाम Trianthema portulacastrum है दोस्तों भारत के अलग अलग राज्यों में अलग अलग नामो से जाना जाता है आप इसे किस नाम से जानते है ये जरूर कॉमेंट में बताये
ये पौधा एक खरपतवार के रूप में उत्पन्न होता है पर ये अपने गुणों से बहुत मूल्यवान है इसके पत्ते रसदार होते है और पत्तो की किनारी लाल रंग की होती है ये पौधा ज़मीन पर फैलता है और इसकी साखा आसानी से टूट जाती है यानी ये बहुत कोमल होता है
दोस्तों में आपको बता दूँ के ये पुनरवा नही है पर ये पुनरवा की एक प्रजाति है पुनरवा का वैज्ञनिक नाम है Boerhavia diffusa है
इसका संस्कृत भाषा मे नाम है विषखपरा इसका मतलब होता है शरीर मे विष रूपी कचरे को बाहर निकाल देना इसका गुणधर्म मूत्रम होता है यह मूत्र संबंधित सभी बीमारियों का नाश करता है ओर कई बीमारियों को दूर करता है
आदिवासी इलाकों में और गाँवो में लोगइसके पत्तों की सब्जी बनाकर खाते है यह शरीर की सूजन को कम करता है इसके पत्तों का स्वाद खट्टा मीठा और नमकीन होता है
आयुर्वेद के अनुसार साटी के गुणधर्म की हम बात करे तो मूत्रम होता है यानी इसका सेवन करने से मूत्र खुलकर आता है और ये सोथग्न होता है शरीर की सूजन को कम करता है यह ज्वरग्न होता है यानी ज्वर का नाश करता है
और शरीर मे विष रूपी कचरे को नाश करता है यह कुष्ट रोग में भी बहुत उपयोगी होता हैं इसकी सब्जी बनाकर या साग बनाकर रोजाना खाने से भूख बहुत बढ़ती है ओर मूत्र संबन्धी समस्या का निवारण हो जाता है ये वनस्पति गुर्दे की समस्याओं को भी ठीक कर देती है
दोस्तों कुछ दिनों तक इसका सेवन करने से पथरी में बहुत फायदा होता है इसके पत्तों का रस 15से 20ml माता में रोजाना खाली पेट सेवन करने से पत्थरी में बहुत फायदा होता है और गुर्दे मजबूत बनते है इस से शरीर की कमजोरी दूर होती है और यकृत बलवान बनता है
दोस्तों इसके रस का सेवन करने से अंदरूनी सूजन उतर जाती है इसके अलावा इसके पत्तों का लेप बनाकर लगाने से बाहरी सूजन उतर जाती है
दोस्तों सन्धिवात में इसके पत्तों को गरम करके लगाने से सन्धिवात की सूजन उतर जाती है इसके पत्तों में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते है तथा इसमें जीवाणुरोधी गुण होते हैं इसके पत्तों का गाव पर लेप लगाने से गाव तुरंत भर जाते है
दोस्तों बिना नामक डाले इसके पत्तों की सब्जी बनाकर रोजाना खाने से गुर्दे बनते है और पथरी दूर होती है इससे किडनी मजबूत बनती है
तो दोस्तों ये थी आज की महत्वपूर्ण जानकारी आर्टिकल पसन्द आने पर shere करे हमेशा नई वनस्पति और जड़ीबूटियों की जानकारी के लिये मुझे फ़ॉलो करे तो मिलते है अगली पोस्ट में नई जानकारी के साथ
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