अतिबला के फायदे।Benefits of abutilonindicum
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अतिबला का पौधा |
नमस्कार दोस्तों साइट में आप सभी दोस्तों का बहुत-बहुत स्वागत है हमारा देश भारतवर्ष अनेक विविध जड़ी बूटियों से भरा हुआ है भारतवर्ष में अनेक प्रकार की चमत्कारिक और दुर्लभ जड़ी बूटियां पाई जाती है जिसकी ज्यादातर लोगों को पहचान नहीं होती या इसके गुणों को नहीं जानते
दोस्तों आज हम अतिबला के फायदे के बारे में बात करेंगे अतिबला प्रकृति का वह पौधा है जो शरीर को पुष्ट बनाता है और ताकत से भर देता है
अतिबला का एक पौधा होता है जो तीन से चार फीट ऊंचा होता है और झाड़ी दार होता है ये लगभग सारे भारतवर्ष में अपने आप उत्पन्न होता है आयुर्वेद की प्रमुख ताकतवर औषधियों में से अति बला एक है
दोस्तों इसका शूप झाड़ी दार होता है इसके पत्ते दिल के आकार के और अग्र पर नुकीले होते हैं इस पर पीले रंग के सुंदर पुष्प लगते हैं पुष्प के बाद गोल आकार वाली एक फली लगती है जो ऊपर से कंधी की तरह दिखाई देती है इसलिए इसका एक नाम कंधी है
अतिबला का हिंदी नाम "चंपी" और "कंधी है इसका संस्कृत नाम "अतिबला" और "कंकतीका" है उर्दू में कंधी ही कहते हैं और गुजराती में "कपाट" तथा "कांसकी" से जानते हैं अतिबला का अंग्रेजी नाम moon flower और वैज्ञानिक नाम abutilon indicum है अतिबला बला की एक प्रजाति है बला की कई जातियां पाई जाती है इसमें भूमि बला अति बला महाबला और नाग बला मुख्य है चारों बलाए गुणों में लगभग समान होती है
अतिबला की तासीर
और यह बल बढ़ाने वाली औषधि है आयुर्वेद के मत अनुसार अति बला स्वाद में मधुर कड़वी थोड़ी तिक्त और खट्टी होती है यह शीतल प्रकृति की और पचने में हल्की तथा स्निग्ध होती है यह औषधि वात पित्त को मिटाती है तथा बल बढ़ाती है आयुष्य की वृद्धि करती है और पूरे शरीर का तेज बढ़ाती है
दोस्तों अति बला प्रमेह क्रम ता अत्याधिक तृष्णा जहर सर्दी और ज्वर का नाश करती है इसकी झड़ का सेवन करने से पेशाब खुलकर आता है और लंबे समय तक सेवन करने से पथरी टूटकर निकल जाती है और शरीर में बल बढ़ता है
खांसी की समस्या होने पर अति बला के पुष्प का चूर्ण 2 ग्राम की मात्रा में घी के साथ मिलाकर कुछ दिनों तक चाटते रहने से खांसी मिटती है इसके अतिरिक्त अडूसा के पत्तों के साथ इसके बीजों को मिलाकर क्वाथ बनाएं और इसका लगातार तीन से चार दिनों तक सेवन करने से भी खांसी जल्दी ही छूट जाती है
जिन लोगों को दस्त की समस्या है उन लोगों को अतिबला के पत्तों का शाक बनाकर घी के साथ सेवन करना चाहिए इससे दस्त शीघ्र ही मिट जाता है यह जड़ीबूटी अर्श और बवासीर में भी अत्याधिक फायदेमंद हो होती है इसके पत्तियों का गाढा बनाकर रोजाना 10 से 20 मिल की मात्रा में सेवन करने से बवासीर में अत्याधिक फायदा होता है
यह जड़ीबूटी दांतों के लिए भी बहुत फायदेमंद होती है दांतों की दर्द की समस्या होने पर इसके पत्तों का क्वात बनाकर घरारा करें इस प्रयोग को कुछ दिनों तक लगातार करते रहने से मसूड़ों की सूजन उतर जाती है और दांतों का दर्द मिटता है और दांत मजबूत बनते हैं
यह जड़ीबूटी पीलिया और कामला को दूर करती है इसके लिए इसके मूल का चूर 1 से2 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ मिलाकर कुछ दिनों तक लगातार सेवन करने से पिलिया खत्म होता है
अति बला किसी भी प्रकार की पथरी में बहुत फायदेमंद होती है इसके पत्तों तथा मूल का क्वात बनाकर 20 से 30 ml की मात्रा में रोजाना सेवन करने से पथरी मूत्र मार्ग से टूटकर बाहर निकल जाती है
दोस्तों यह अति भला मधुमेह यानी डायबिटीज में भी फायदेमंद होती है इसके पत्तों का चूर्ण बनाकर एक से दो ग्राम की मात्रा में पानी के साथ रोजाना सेवन करने से डायबिटीज कंट्रोल में हो जाता है
इसके अलावा इसके बीजों का क्वात बनाकर भी इसका सेवन कर सकते हैं दोस्तों प्राचीन आयुर्वेदा आचार्यों ने इस जड़ीबूटी का नाम अति बला रखा है ये जड़ीबूटी शरीर में ताकत भर देती है ये सभी प्रकार की कमजोरियों को मिटा देती है इस जड़ीबूटी के मूल का चूर्ण को 2 से 3 ग्राम की मात्रा में या इसका रस 10 से 15 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ तथा असमान मात्रा में घी के साथ मिलाकर सुबह शाम एक साल तक रोजाना सेवन करने से शरीर पुष्ट और ताकतवर बनता है यादाश्त बढ़ती है और अनेक प्रकार के विर्य विकार नष्ट होते हैं
दोस्तों एक बात का ख्याल जरूर रखें जिस प्रयोग में आपको घी के साथ शहद का उपयोग करने की सलाह दी जाती है वहां घी और शहद असमान मात्रा में लेना चाहिए यानी एक चम्मच शहद तो दो चम्मच घी होना चाहिए और ध्यान रखें शहद कभी गर्म करके ना ले गर्म किया हुआ शहद जहर के समान काम करता है
इसलिए कदापि इसका प्रयोग ना करें और घी के साथ शहद समान मात्रा में कभी ना ले इसके पंचाग का क्वात बनाकर 10 से 20 मिली की मात्रा में साथ में एक ग्राम सोट मिलाकर सेवन करें इससे सभी प्रकार के ज्वर में फायदा होता है
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